खुद की जरूरतों का त्याग करके सामने वाले जरूरतमंद को वस्तु, भोजन, वस्त्र , इत्यादि को दान करना सबसे बड़ा दान कहलाता है।
दान को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पुण्य कर्म माना जाता है।
दान से तात्पर्य है कि किसी वस्तु, धन या सेवा को बिना किसी उम्मीद के, किसी और को देना। इसे एक तरह का त्याग माना जाता है, जिससे व्यक्ति को पुण्य मिलता है और दूसरों लोगों की मदद भी होती है।
आपको शायद नहीं पता होगा कि अगर आप दूसरों से कुछ छीनने का ज़रा सा भी ख़याल रखते हैं, तो आप खुद ही अपने जीवन में कई तरह की रुकावटें और मुश्किलें खड़ी कर लेते हैं।
क्योंकि जो आप देते हो वो लौट कर आपके पास आता है चाहे वो प्रेम, पैसा, घृणा, कुछ भी हो वो आपको एक दिन जरूर मिलेगा। और एक बात का ध्यान जरूर रखें कि दान हमेशा सम्मानपूर्वक देना चाहिए। दान देते समय किसी भी वस्तु को फेंक कर न दें और न ही ऐसा करने में जल्दबाजी करें।
ज्योतिषाचार्य
निधि भारद्वाज ( एम.ए ज्योतिष )