किसी भी जातक की कुंडली का पूरी तरह विवेचन करने के बाद ही यह पता लगाया जा सकता है कि किस ग्रह का दान करना है I किस का रत्न धारण करना है और किस ग्रह का पाठ पूजन एवं जल प्रवाह करना है I
जिस ग्रह का रत्न धारण किया जाता है, उस ग्रह का दान कभी नहीं किया जाता है I रत्न धारण करने का मतलब ही यह है कि उस गृह की किरणों को शरीर में बढ़ाना है I दान करने से यह किरणे कम होती हैं I
किसी भी ग्रह से जुडी हुई वस्तु का जल प्रवाह करने से उस ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है I
पाठ पूजन, सिमरण, हवं, आरती, व्रत करने से भी ग्रह प्रसन्न होता है और अपना दुष्प्रभाव कम करता है I अपने शुभ प्रभाव बढ़ाता है I
दान करके मारक ग्रह (शत्रु ग्रह) के प्रभाव को कम किया जा सकता है I
ज्योतिषाचार्य
निधि भारद्वाज ( एम. ए. ज्योतिष)