वैसे बहुत सारी कुण्डलियों में यह देखने में आया है कि लोग उपायों की ओर तो बहुत ध्यान ध्यान देते हैं और लाखो रूपये खर्च कर डालते हैं परन्तु तब भी उन्हें पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है जिस कारण से उनका जीवन कष्टमय ही रहता है ! क्यूंकि वे जातक ग्रहों के उपाय तो करते हैं परन्तु उन ग्रहों से सम्बन्धित रिश्तों को नहीं सम्भालते हैं ! रिश्तों को सम्मान देकर उस ग्रह को सही ढंग से स्वम के अनुकूल किया जा सकता है !
ग्रहों से सम्बन्धित रिश्तों का विश्लेषण निम्न प्रकार से है-
1. सूर्य देव: पिता, दादा, ताऊ, पिता तुल्य व्यक्ति आदि I
2. चंद्र देव: माता, चाची, ताई या घर की बड़ी उम्र की महिलाएं, माता तुल्य स्त्रियां आदि I
3. मंगल देव: छोटा भाई, छोटा भाई तुल्य व्यक्ति, मित्रो के छोटे भाई आदि I
4. बुध देव: कंजक (छोटी उम्र की कन्यायें), छोटी बहनें, मौसी, मामी, बुआ, घर की बेटियां, बहनें, अड़ोस-पड़ोस की स्त्रियां, बहन तथा बेटी तुल्य महिलाएं आदि I
5. बृहस्पति देव: गुरु, अध्यापक, धार्मिक प्रवचनकर्ता, ज्योतिष आचार्य शिक्षा देने वाले व्यक्ति, बड़ा भाई, पुत्र, पति, मित्रों के बड़े भाई, शिक्षित बुजुर्ग आदि I
6. शुक्र देव: प्रेमी – प्रेमिका का सम्बन्ध, पति-पत्नी का रिश्ता, कलाकार आदि I
7. शनि देव: कामवाली, झाडूवाली, कचरेवाली, भिखारी, नौकरीपेशा आदि I
8. राहु देव: अपंग व्यक्ति, कोढ़ी, वृद्ध भिखारी, अस्वस्थ व्यक्ति, शराबी, जुआरी, किसी भी प्रकार का नशा करने वाला आदि I
9. केतु देव: नानाका परिवार, समाज का त्याग कर चुके साधु-संत, घर का पालतू कुत्ता आदि I
ज्योतिषाचार्य
निधि भारद्वाज ( एम. ए. ज्योतिष)