सूर्य प्रधान व्यक्तियों के गुण और अवगुण!

Vaikuntha Astrologer
By - Acharya Nidhi Bhardwaj
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ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों में राजा की संज्ञा दी गई है तथा ग्रहों में सूर्य को प्रथम स्थान प्राप्त है। जिस जन्मपत्री में जातक की सूर्य की स्थिति मजबूत होती है तो  उसकी कार्यक्षेत्र के प्रति झुकाव सकारात्मक होती है। यह आशावादी विचार के धनी होते है एवं जीवन मे दूसरों को सदैव प्रकाशित करते है। ऐसे जातको के पास भरपूर ऊर्जा एवं आत्मविश्वास होता है क्योंकि सूर्य आत्मा का प्रतनिधित्व करते है। ऐसे जातक सदैव समूह का नेतृत्व करते है अथवा करने में सक्षम होते है। 


मनुष्य के जीवन मे सूर्य आत्मा एवं पिता का प्रतिनिधित्व करते है तथा व्यक्ति के दाएं नेत्र पर भी अपना प्रभाव रखते हैं। सूर्य के बिना जीवन संभव नही है क्योंकि सृष्टि को चलाने वाले यह प्रत्यक्ष देवता का रूप में हमे दिखाई देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्रमा का अत्यधिक महत्व है औऱ दोनों को हम साक्षात दर्शन कर सकते है एक आत्मा दूसरा मन। सूर्य का संबंध हमारे पूर्वजों से भी माना जाता है।


जातक के गुण - ज्योतिष में सूर्य आत्मविश्वास, साहस, पराक्रम, तेजस्विता, समूह में नेतृत्व की क्षमता, राजनेता,राजा,आत्मसम्मान, अभिमान, गौरव, शासन या सरकारी व्यवस्था, मान-सम्मान, मनुष्य का हृदय, तांबा,सोना, माणिक्य, नारंगी रंग, पूर्व दिशा आदि के कारक माने जाते है।

व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी क्षेत्र से संबंधित कार्य का प्रतिनिधित्व करते है। सूर्य जातक को अनुशासन प्रिय, सिद्धान्तवादी,कुशल नेतृत्व कर्ता अधिकारी, प्रशासक, समय का पाबंद, सृजनशील, कार्य के प्रति निष्ठावान बनाते है। 


जातक के अवगुण - जन्मपत्री में सूर्य के कमजोर होने पर जातक के जीवन मे अनेक समस्यायें होने की संभावना रहती है। जन्मपत्री में सूर्य यदि पीड़ित अवस्था में है तो जातक को यश,कीर्ति, मान-सम्मान मिलने में अनेक कठिनाई होती है। सूर्य ग्रह के ख़राब स्थिति में होने से पिता से संबंध खराब होने की संभावना रहती है।
सूर्य के कमजोर होने से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। सूर्य के कमज़ोर होने से ह्रदय रोग, हड्डियों से संबंधित रोग और नेत्र रोग होने की संभावना रहती है।

सूर्य को ठीक रखने के उपाय

1. पिता जी का सम्मान करें।उनके चरण स्पर्श करें।  
2. सूर्योदय से पहले जगने का प्रयास करें।
3.  प्रतिदिन सूर्य को जल दें।
4. किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह लेकर माणिक्य धारण करें।
5. आदित्य हॄदय स्त्रोत का पाठ करें।

ज्योतिषाचार्य 
निधि भारद्वाज ( एम.ए ज्योतिष ) 

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